Month: July 2016
ज्योतिष देवों का शरीर
आचार्य श्री – इनके शरीर का वर्ण चमकदार होता है, पर उद्योत आदि नामकर्म वाला नहीं । पं. रतनलाल बैनाडा जी
Life
Life is a progress, not a station. (फ़िर नये स्टेशन आने पर खुशी किस बात की ! पिछले स्टेशनों के छूटने पर दु:ख किस बात
मोह
अपने बालों को और अपने वालों को उखाड़ कर फेंक देने वाला ही अपना कल्याण कर पाता है । (डा.अमित)
पैसा
मैं पैसा हूँ… मैं नई नई रिश्तेदारियाँ बनाता हूँ; मगर असली औऱ पुरानी बिगाड़ देता हूँ। (ब्र.संजय)
Happiness
Be grateful that you don’t have everything you want, It means you still have an opportunity to be happier tomorrow than you are today. (Ekata-Pune)
द्रव्येंद्रिय
निर्वृत्ति – रचना/बनावट आभ्यंतर – आत्मप्रदेश बाह्य – इंद्रियों का आकार/रचना उपकरण – निर्वृत्ति का उपकार करने वाली आभ्यंतर – जैसे नेत्रों का सफेद मंड़ल बाह्य
रूठना
मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ? आज दरार है, कल खाई होगी फिर भरेगा कौन ? बात छोटी को लगा लोगे
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