Month: July 2016

Life

Life is a progress, not a station. (फ़िर नये स्टेशन आने पर खुशी किस बात की ! पिछले स्टेशनों के छूटने पर दु:ख किस बात

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मोह

अपने बालों को और अपने वालों को उखाड़ कर फेंक देने वाला ही अपना कल्याण कर पाता है । (डा.अमित)

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पैसा

मैं पैसा हूँ… मैं नई नई रिश्तेदारियाँ बनाता हूँ; मगर असली औऱ पुरानी बिगाड़ देता हूँ। (ब्र.संजय)

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Happiness

Be grateful that you don’t have everything you want, It means you still have an opportunity to be happier tomorrow than you are today. (Ekata-Pune)

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द्रव्येंद्रिय

निर्वृत्ति – रचना/बनावट आभ्यंतर – आत्मप्रदेश बाह्य – इंद्रियों का आकार/रचना उपकरण – निर्वृत्ति का उपकार करने वाली आभ्यंतर – जैसे नेत्रों का सफेद मंड़ल बाह्य

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रूठना

मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ? आज दरार है, कल खाई होगी फिर भरेगा कौन ? बात छोटी को लगा लोगे

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मंगल आशीष

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July 23, 2016