Month: September 2016

दुनिया

हरिवंशराय बच्चन जी की एक ख़ूबसूरत कविता, “रब” ने नवाज़ा हमें ज़िंदगी देकर, और हम “शौहरत” माँगते रह गये । ज़िंदगी गुज़ार दी शौहरत के पीछे, फिर जीने की

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धन / धर्म

व्यक्ति की चाल…… धन से भी बदलती है, और धर्म से भी ! जब धन संपन्न होता है, तब अकड़ कर चलता है; और जब

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प्रभु दर्शन

आईना साफ़ किया तो “मैं” नज़र आया, “मैं” को साफ़ किया तो “तू” नज़र आया । (नीलम)

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भगवान

गरीबों के बच्चे भी खाना खा सकें त्यौहारों में, इसलिये भगवान खुद बिक जाते हैं बाज़ारों में । (ब्र.नीलेश भय्या)

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क्षमा दिवस

भगवान, गुरु, शास्त्रों से; माँ और बड़ों से, उनके बताये हुए मार्ग पर न चल पाने के लिये; अपने आप से, जीवन सही तरीके से

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अवधिज्ञान

सर्वार्थसिद्धि से आने वाले जीव अवधिज्ञान लेकर आते है । क्षु. श्री ध्यानसागर जी

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ब्रम्हचर्य धर्म

आत्मा में रमना ही सच्चा ब्रम्हचर्य है । प्रवचन पर्व (आ.श्री विद्या सा.जी) 2) बेटे और पति के शरीरों पर हाथ रखने से जब एकसा

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आकिंचन्य धर्म

“यह मेरा है” ऐसे भाव का त्याग करना ही आकिंचन्य धर्म है । 2) मछली पानी के बाहर आने पर मरने का एक कारण आक्सीजन

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मंगल आशीष

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