Month: October 2016
अहंकार
October 21, 2016
“अहंकार” तभी उत्पन्न होता है जब गुणों का स्वामी यह भूल जाता है कि “प्रशंसा” वास्तव में उसकी नहीं बल्कि उसके “गुणों” की हो रही है।
कल्याण मार्ग
October 20, 2016
रूचिकर को छोड़, हितकर मार्ग । समस्या मार्ग को छोड़, तपस्या मार्ग ही मोक्ष मार्ग है ।
प्रमाद
October 19, 2016
संसार में तो प्रमादी को भी लाभ हो सकता है, प्रमुखता पुण्य की है । लेकिन परमार्थ में प्रमादी प्रगति नहीं कर सकता । रत्नत्रय
Remembrance of Past
October 18, 2016
Those who do not remember the PAST, are bound to repeat mistakes of the PAST. Those who repeatedly remember the PAST, are bound to be
दर्शनावरण/दर्शनमोहनीय
October 17, 2016
दर्शनावरण – दृष्टि पर आवरण, दर्शनमोहनीय – दृष्टि का उल्टा होना । चिंतन
परेशानी
October 17, 2016
चिंता करने से परेशानियाँ बढ़तीं हैं, ख़ामोश रहने से कम होती हैं , भगवान को याद करने से खुशियों में बदल जाती हैं । (अंजना)
वचन
October 16, 2016
बोलने से पहले वचन आदमी के गुलाम होते हैं, बोलने के बाद आदमी वचनों का । (सुरेखा – भोपाल)
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