Month: October 2016

सहजता

अपने में भावित, दूसरों से अप्रभावित रहने वाला ही, सहज रह पाता है ।

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आत्मा

जो भी दिख रहा है वह आत्मा नहीं । जो देख रही है, वह आत्मा है ।

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दृष्टिकोण

व्यवहारिक दृष्टिकोण – अच्छा दिखूँ, आध्यात्मिक दृष्टिकोण – अच्छा बनूँ ।

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मर्द

जो रोज़ मरता है (पर दुखी नहीं होता), वह मर्द ।

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सफलता

परीक्षा की ज़िंदगी में सफलता इतनी महत्त्वपूर्ण नहीं, जितनी ज़िंदगी की परीक्षा में ।

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पर्याय/केवलज्ञान/नश्वरता

अर्थ पर्याय नश्वर है, व्यंजन अनश्वर, जैसे देवों के विमान । केवलज्ञान भी व्यंजन पर्याय है ज्ञान की, इसमें परिणमन व्यवहार से माना है ।

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संस्था

संस्थाऐं भी शरीर की तरह बूढ़ी होती रहतीं हैं । समाधान है- परिवर्तन, तब ये हमेशा युवा रह सकतीं हैं ।

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मन

गृहस्थ का खाली मन शैतान का, साधु का खाली मन भगवान का ।

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आत्मलीन

जो आत्मा में रमे सो “राम”, और जो विषयों में रमे सो “हराम” ।

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मंगल आशीष

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October 14, 2016

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