Month: November 2016

प्रेरणा

ईश्वर “टूटी” हुई चीज़ों का इस्तेमाल कितनी ख़ूबसूरती से करता है … जैसे …. बादल टूटने पर पानी की फुहार आती है …… मिट्टी टूटने

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कर्तापन

यदि भगवान कर्ता होता, (हमारे आज के कर्मों/कर्म फलों का) तो यह संसार बंद ही हो गया होता । मुनि श्री समय सागर जी

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संबंध

संयोग संबंध भी दो प्रकार का – 1. प्रत्यक्ष भिन्न – शरीर और मकानादि, 2. अप्रत्यक्ष भिन्न – शरीर और आत्मा ।

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गुरु / भगवान

आज के समय में भगवान तो होते नहीं है, तो यों समझें कि भगवान ने गुरुओं को Power of Attorney दिया हुआ है ।

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अच्छाई / बुराई

जो “अच्छा” लगता है उसे ग़ौर से मत देखो, ..ऐसा न हो कोई “बुराई ” निकल आये… जो “बुरा” लगता है उसे ग़ौर से देखो..

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आरोग्य

चारों पुरुषार्थ का मूल है आरोग्य, पर स्वस्थ आरोग्य, स्वस्थता, तन के साथ मन की भी ।

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मंगल आशीष

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November 13, 2016

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