Month: December 2016

परिग्रह

परिग्रह से निश्चिंतता मानना, ऐसे ही है, जैसे, ज़हर से अमरता को मानना । (धर्मेंद्र)

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भाव / अभाव / प्रभाव

कोई भी व्यक्ति आपके पास तीन कारणों से आता है ! भाव से,अभाव से या प्रभाव से । यदि भाव से आया है तो उसे

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सफ़लता

निराशा असफ़लता की पहली निशानी है । असफ़लताऐं तो सफ़लता की सीढ़ीयाँ हैं । प्रशंसा को प्रोत्साहन और निंदा को चेतावनी मानने वाले ही सफ़ल

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भगवान

चाँद* में दाग है, सूरज** में आग है , भगवान वीतराग है । * राग का प्रतीक ** द्वेष का

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God

A boy asked his Dad, “Dad, how big is God?” Looking up at the sky his father saw an aeroplane and asked his son, “How

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निद्रा/प्रचला

इनका उदय 12 वें गुणास्थान तक होता है पर प्रभाव तो दिखता नहीं है ? प्रमाद के अभाव में कर्मोदय का प्रभाव गौण हो जाता

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Religious

If you believe that only visits to temple will make you religious, then mechanics spending whole life in garage must have converted into cars !!

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भला / बुरा

भला बने रहकर किसी का बुरा होते देखने से बेहतर है, बुरा बनकर भला करने का प्रयास करना । चिंतन

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मंगल आशीष

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December 14, 2016

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