Month: March 2017

कषाय

कोई कषाय एक मुहूर्त तक नहीं रहती । तथा संज्वलन को छोड़कर बाकी तीनों मुहूर्त से ज्यादा समय के लिये होती हैं । दोनों कथन

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वचन

ज़ुबान यदि कठोर बोलने के लिये बनी होती, तो नियति उसमें हड्डी तो ड़ाल देती ।

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भगवान की आज्ञा

भगवान/गुरु का कहा कर ना पाओ तो ना सही, कम से कम वो तो मत करो, जिसकी उन्होंने मनाही की है (जिसे उन्होंने पाप कहा

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दु:ख / दोष

बड़ा परिवार, घर छोटा – दु:ख का कारण, छोटा परिवार, घर बड़ा – दोष का कारण ।

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वैराग्य

बुद्ध ने एक रोगी, वृद्ध और एक मृत को देखा और वे प्रबुद्ध हो गये, हम रोज़ देखते हैं, हमें वैराग्य क्यों नहीं हो रहा

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मंदिर

जो मंदिर से जुड़ता है, वो सिर्फ़ धर्म से ही नहीं, अपितु समाज और अपनी संस्कृति से भी जुड़ा रहता है ।

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धर्म

धर्म ना कुछ देता है, ना कुछ लेता है, बस मिलने/छिन जाने पर स्थिरता देता है ।

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सुख/दु:ख

अनुभागानुसार ही जीव के सुख दु:ख में हीनाधिकता होती है । जैसे देवगति में पुण्य प्रकृति समान होने पर भी कोई वाहन (संक्लेश परिणाम), उस

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मंगल आशीष

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March 23, 2017