Month: June 2017

अभिमान / स्वाभिमान

मोह में स्वाभिमान रह नहीं सकता । अभिमान को ही स्वाभिमान मान लेते हैं । सम्मान की इच्छा रखना अभिमान है, ऐसे कार्यों से बचना, जिससे

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आबाधा

दो प्रकार – 1. उदय की अपेक्षा – आयुकर्म को छोड़कर बाकी 7 कर्मों की 1 कोड़ा कोड़ी सागर पर 100 बर्ष । 2. उदीरणा

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आत्मा / परमात्मा

एक शिष्य रोज़ाना पूछता था – आत्मा/परमात्मा प्रत्यक्ष दिखाओ । एक दिन, ऊपर से कुछ भारी वस्तु उसके ऊपर आ गिरी, उसके मुँह से आ

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गुण / अवगुण

गुण का सत्कार करें, अवगुण को परिष्कृत करें । दु:खों को स्वीकारें, दोषों का प्रतिकार करें ।

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भक्ति

भूखे को भोजन, थोड़ी देर को साता देता है, पर उपवास का महत्त्व समझा दो, तो हमेशा के लिये पीड़ा हर जाती है । भगवान

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गुरु-आज्ञा

शिष्य उपवास करना चाहता है, गुरु ने आज्ञा नहीं दी, तो पुण्य उपवास में ज़्यादा या आहार करने में ? गुरु-आज्ञा में ज़्यादा पुण्य है

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सरलता

सरलता याने लचीला, मृदुता, निश्छलता । वे अड़ते नहीं, सो लड़ते नहीं ।

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सात्विकता

मन, वचन, काय में सादगी/शुद्धता/दिखावा नहीं । खाने, पीने, पहनावे में सात्विकता ज़रूरी ।

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विपुलमति ज्ञान

विपुल यानि बड़ा । श्रेणी चढ़ने पर नीचे नहीं आते, 6, 7 गुणस्थान में ऊपर नीचे हो सकते हैं पर 6, 7 में दुबारा आने

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मंगल आशीष

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June 30, 2017