Month: October 2017

धर्म की राह

नदी जिन पत्थरों की सहायता से अपनी राह बनाती है, वे ही पत्थर उसकी राह में अवरोध पैदा करने लगें तो उनको तोड़ देती है

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क्षपक श्रेणी

इसे माढ़ते समय अनुभाग – पुण्य प्रकृतियों का उत्कृष्ट तथा पाप प्रकृतियों का कम; स्थिति – पाप प्रकृतियों की कम तथा पुण्य प्रकृतियों की भी

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साधु

जिससे संसार प्रभावित हो, पर वह संसार से प्रभावित ना हो । (श्री तुषार भाई)

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अन्तरंग

ट्रेन के सुरंग से निकलते समय उसमें अँधेरा हो जाता है, कामकाज ठप । पर अंदर की Light जला लो तो डर काहे का !

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मृत्यु

मृत्यु का क्षण तो निश्चित नहीं, पर मृत्यु किसी भी क्षण हो सकती है, यह निश्चित है ।

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सार्थकता

प्रत्येक दिन की सार्थकता इसमें नहीं कि क्या पाया/कौन सी/कैसी फ़सल काटी, बल्कि इसमें है कि तुमने कितने और कैसे बीज बोये ।

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पराश्रित

छत्र दिखने में तो अच्छा लगता है, पर ऊपर उठने में रूकावट ड़ालता है ।

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गुरु

गुरु ने मुझे क्या ना “दिया”, हाथ में “दिया” दे “दिया” । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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केवलज्ञान में ज्ञान/दर्शन

केवलज्ञानी के केवल ज्ञान व दर्शन युगपद कैसे ? भगवान के अनंतवीर्य का उदय रहता है, इसीलिये उनको दर्शन और ज्ञान के बीच अंतराल की

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मंगल आशीष

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