Month: October 2017
इबादत
October 5, 2017
कितने मसरूफ़ हैं हम ज़िंदगी की कशमकश में ! “इबादत” भी जल्दी में करते हैं, फिर से गुनाह करने के लिए। (धर्मेंद्र)
मुनीम / मुनि
October 4, 2017
मुनीम भूत का हिसाब रखता है, भूत पर ही दृष्टि रहती है; मुनि की भविष्य पर । मुनि श्री सुधासागर जी
दया के पात्र
October 3, 2017
जो स्वयं पर दया नहीं करते, वे स्वयं दया के पात्र बन जाते हैं । और जो दूसरों पर दया नहीं करते, वे दूसरों की
दस प्राण
October 2, 2017
10 प्राणों में सिर्फ 3 में (मन, वचन, काय) “बल” क्यों लगाया ? ये तीन सबसे बलवान हैं इनसे ही कर्म बंधते हैं बाकी तो
धर्म में सहकारता
October 2, 2017
आज जो हमें धर्म में सहकारी हैं, वे पूर्वजन्म में हमारे सत्संगी रहे होंगे ।
पुरुषार्थ
October 1, 2017
ख़राब खेत में, ख़राब बीज बोने पर भी, पुरुषार्थ से अच्छी फ़सल काट सकते हैं ।
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