Month: October 2017

इबादत

कितने मसरूफ़ हैं हम ज़िंदगी की कशमकश में ! “इबादत” भी जल्दी में करते हैं, फिर से गुनाह करने के लिए। (धर्मेंद्र)

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मुनीम / मुनि

मुनीम भूत का हिसाब रखता है, भूत पर ही दृष्टि रहती है; मुनि की भविष्य पर । मुनि श्री सुधासागर जी

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दया के पात्र

जो स्वयं पर दया नहीं करते, वे स्वयं दया के पात्र बन जाते हैं । और जो दूसरों पर दया नहीं करते, वे दूसरों की

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दस प्राण

10 प्राणों में सिर्फ 3 में (मन, वचन, काय) “बल” क्यों लगाया ? ये तीन सबसे बलवान हैं इनसे ही कर्म बंधते हैं बाकी तो

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पुरुषार्थ

ख़राब खेत में, ख़राब बीज बोने पर भी, पुरुषार्थ से अच्छी फ़सल काट सकते हैं ।

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मंगल आशीष

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October 5, 2017

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