Month: December 2017

जेल

अच्छा काम करने पर कैदियों को चंदन की लकड़ियाँ मिलीं । एक जलाकर खाना बनाने लगा । दूसरा घिसकर खुशबू लेता था । तीसरे ने

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गुरु

कार में लाइट ना होने पर , लाइट वाली कार के पीछे पीछे चलें ।

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गिरना

गिरना भी सार्थक हो सकता है, बशर्ते उठते हुये काम की चीज़ लेकर उठें, जैसे भगवान/गुरुओं की माँओं का गृहस्थी में फंसना ।

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मोरपंख

मोर मांसाहारी पर पंख साधुओं की पीछी में क्यों ? गाय अशुद्ध खाती है, पर दूध शुद्ध । उसका ही मल अशुद्ध और मांस अभक्ष्य

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खालीपन

खेत खाली छोड़े जायें तो फसल अच्छी होती है । मन खाली छोड़ा जाय *तो अच्छे-अच्छे/नये-नये विचार आते हैं । * संसारिक इच्छाओं से

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समर्पण

समझदार गिरता है तो भी कुछ लेकर ही उठता है । क्षु. श्री ध्यानसागर जी

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मन

मन से किया गया कार्य अच्छा होता है, मालिक प्रवृत्ति का होता है । मन का किया गया कार्य दु:ख देता है, सेवक प्रवृत्ति का

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श्रेणी और व्रत

श्रेणी चढ़ते समय व्रतों का पालन तो होता नहीं (प्रवृत्ति नहीं) तो निर्जरा कैसे ? 1. श्रेणी में प्रवृत्ति नहीं, पर व्रत/नियम तो हैं जैसे

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ज़िंदा / मुर्दा

लोग ज़िंदों को गिराते हैं, मुर्दों को उठाते हैं, ये कैसे लोग हैं ? जो ज़िंदा को गिराते हैं वे मुर्दा होते हैं* और मुर्दा

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मंगल आशीष

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December 23, 2017