Month: January 2018
आकिंचन्य
महाव्रती सल्लेखना में पीछी का भी त्याग कर देते हैं, जब उनका उठना बैठना बंद हो जाता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
दस धर्म में अहिंसा
दस धर्म में अहिंसा क्यों नहीं ? दस धर्म में अहिंसा की रक्षा/साधना के लिये ही हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
अनुपात
जीवन/संगीत/पूजा सब में उचित अनुपात बहुत जरूरी है, तभी आनंद आयेगा, क्रिया कार्यकारी होगी । अनुपात बिगड़ा, आपात स्थिति आती है । आचार्य श्री विद्यासागर
तप
जैसे Radiation से रोग जल जाता है, स्वस्थ शरीर रह जाता है, ऐसे ही तप से विकृतियाँ समाप्त हो जाती हैं, प्रकृति शेष रह जाती
अनाचार
अचौर्य के अनाचार में – “साधर्माविसंवाद” का क्या आश्रय ? श्री पी.एल. बैनाड़ा जी साधर्मी की चीजों को छिपाना/मेरा तेरा कहना ।
भावनायें
12 भावनायें अपने कल्याण के लिये, 16 भावनायें जगत कल्याण के लिये । आचार्य श्री विद्यासागर जी
सत्संग
अंतरंग का परिवर्तन सत्संग से ही संभव है । परिवर्तन से ही परिवर्धन होता है । संत ना बन सकें तो सज्जन तो बन सकते
धर्म
धर्म क्या है ? अधर्म का अभाव ही धर्म है । (और अधर्म को तो हम सब खूब समझते ही हैं) मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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