Month: January 2018
कटु सत्य
हम सब अपने अपने शमशान स्थल पर ही रहते हैं । ऐसा कौन सा प्रदेश है, जहाँ पहले हमने मरण नहीं किया ? मुनि श्री
गुरुदर्शन
चोर साधुओं के पास इसलिये नहीं जाते, क्योंकि उनके पास वह सब नहीं है जो उन्हें चाहिये । यदि हम भी उनके पास नहीं जा
स्वस्थ रहने को उपाय
बाहर से चिकित्सा, अंदर से निर्विचिकित्सा । आचार्य श्री विद्यासागर जी
पदयात्रा
पहले समय में पदयात्रा मज़बूरी थी, आज तप/धर्म है । धर्म की भावना देर तक चलती है । अहिंसा का पालन होता है ।
भाग्य / पुरुषार्थ
भाग्य = अलग अलग size के घड़े । पुरुषार्थ = अपने अपने घड़ों को कम ज्यादा भरना । सौरभ – नोयड़ा
वीतराग धर्म
कुछ मत संसार को नित्य कहते हैं, दूसरे अनित्य । पर वीतराग धर्म नित्य भी कहता है, अनित्य भी । तो दोनों (सारे) मत वीतराग
शक्ति
2 भेद हैं – क्षयोपशमिक – पहले गुणस्थान से बारहवें तक क्षायिक – तेरहवें गुणस्थान तथा आगे आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी
गुरु वंदन
गुरु की वर्तमान की संयम अवस्था तथा भविष्य की अरहंत अवस्था पूज्यनीय होती है । सच्चा शिष्य ही, अच्छा गुरु होता है ।
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