Month: January 2018

निगोदिया

2 मत हैं – साधारण वनस्पति कायिक पर आ. श्री विद्यासागर जी की असहमति है… क्योंकि निगोदिया… • वनस्पति रूप नहीं हैं • योनियाँ भी

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सरल जीवन

सबसे सरल जीवन किसका ? और हम सरल कैसे बनें ? सिद्ध भगवान का ! बस उन जैसा बनने का जो प्रयास करेगा, उसका जीवन

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भूत / भविष्य / वर्तमान

भूत को Dustbin मानो, भविष्य को Notice Board, और वर्तमान को Writing Pad(for Notice Board) (पर WritingPad Dustbin से मत लेना-पुश्किन) मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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धार्मिक क्रियायें

ये भय/अभाव के निवारण के लिये नहीं, बल्कि निर्भय होने तथा प्राप्ति की अभिलाषा ही समाप्त करने के लिये होती हैं ।

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द्रव्य/तत्व

जीव द्रव्य – मनुष्य – एक/अनेक जीव तत्व – मनुष्यता – Common गुण मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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शरीर

सबसे सीधा/शरीफ़ शरीर ही होता है । बेशकीमती होते हुए भी प्राय: इसे गंदे से गंदे/साधारण से भी साधारण कार्यों में लगाया जाता है पर

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शांति

दुःख का कारण, धर्म का अभाव, सुख का कारण, धर्म का प्रभाव, और… शांति का कारण, खुद का स्वभाव । (ब्र.संजय)

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दिशाओं की सीमा

दिग्व्रत में सीमाओं के बाहर धर्म कार्यों के लिये  घूम सकते हैं, देशव्रत की सीमा के बाहर नहीं (आपात स्थिति के अलावा)। मुनि श्री प्रमाणसागर

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मंगल आशीष

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January 9, 2018