Month: February 2018

समवसरण से मोक्ष

सामान्य केवली भी योग-निरोध के लिये अकेले में चले जाते हैं । क्योंकि समवसरण में किसी की आयु पूर्ण नहीं हो सकती । पं. रतनलाल

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सफलता

सफलता किसी पर आश्रित नहीं होती – पैसा, प्रसिद्धि आदि पर नहीं। गुणों को निखारना/उन्हें बनाये रखना सफलता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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सिद्ध प्रतिमा

इन मूर्तियों के पाँचों कल्याणक होते हैं; (मोक्ष कल्याणक उपचार से नहीं जैसा अरिहंत प्रतिमा का होता है) प्रशस्ति में भी मोक्ष कल्याणक की तिथि

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दीक्षा/शरीर

उपांग ना रहने पर भी दीक्षा ले सकते हैं, आहार लेने में दिक्कत ना हो/दिखने में बुरा ना लगे तो । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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भाग्य और पुरुषार्थ

भाग्य पहले से लिखा हुआ । पुरुषार्थ लाइनों के बीच के space में लिखना तथा लिखे हुए को मिटाना/मिटाकर नया लिखना । चिंतन

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मर्यादा

सीताजी ने अपने सतीत्व का हवाला देकर अग्नि परीक्षा में अग्नि को शांत कर दिया, पर जब रावण उनके सतित्व को खंड़न करने के लिये

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क्षमा

सूक्ष्म नित्य निगोदिया से क्षमा क्यों माँगते हैं, उनका तो कभी नुकसान किया नहीं ? माँगने से मन हलका और पवित्र होता है । चिंतन

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कर्मों का विभाजन

आयु, वेदनीय और गोत्र प्रकृतियों के उत्तर भेदों में कर्मों का विभाजन नहीं होता, बाकी 5 प्रकृतियों में होता है । करूणानुयोग प्रवेशिका – 539

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मंगल आशीष

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February 28, 2018

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