Month: February 2018
क्षयोपशम सम्यक्त्व के दोष
चल दोष – विकल्प होना अगाढ़ दोष – लौकिक प्रयोजनवश चलायमान मल दोष – शंकादि से सम्यक्त्व में दोष तत्वार्थसूत्र टीका – 546
धर्म और व्यस्तता
Busy life में धर्म की Priority नीचे हो जाती है, क्या करें ? धर्म को Priority दोगे तो life busy से easy हो जायेगी ।
भगवान का दान
वैसे तो भगवान के क्षायिक – दान है, पर प्रत्यक्ष में अभय – दान ही होता है । उनके निमित्त से कुछ भी मिल सकता
संसार / परमार्थ
संसार में पुण्य का महत्त्व ज़्यादा है, प्रमादी को भी लाभ होता है, परमार्थ में प्रमादी की प्रगति नहीं । रत्नत्रय – 3
कर्म सिद्धांत
असाता का उदय चल रहा हो तभी बड़ा ग्राहक आ जाये तो अचानक असाता कहाँ चली गयी ? श्री विमल तीव्र साता ने असाता को
क्रोध और सहनशीलता
भीष्म और जटायु ने अपने-अपने जीवनकाल में एक एक पाप/पुण्य किये थे – भीष्म ने समय पर क्रोध ना करने का पाप, जटायु ने क्रोध
सम्मूर्च्छन मनुष्य
इनकी योनियों के प्रकार बहुत ज्यादा होते हैं क्योंकि इनकी संख्या भी अन्य मनुष्यों की अपेक्षा बहुत ज्यादा होती है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
जीवन से प्रेम
जीवन से प्रेम तो साधू ही करते हैं क्योंकि वे उसकी क़ीमत जानते हैं/सुख में रहते हैं । भिखारी/दुखी के मरने पर सब संतोष करते
धर्मात्मा की पहचान
मुसीबत पड़ने पर भगवान/गुरु की शरण में जाते हो, या संसारी लोगों की ? सकून में धर्म करने का मन होता है या विषय-भोग का ?
Recent Comments