Month: February 2018

भगवान का दान

वैसे तो भगवान के क्षायिक – दान है, पर प्रत्यक्ष में अभय – दान ही होता है । उनके निमित्त से कुछ भी मिल सकता

Read More »

संसार / परमार्थ

संसार में पुण्य का महत्त्व ज़्यादा है, प्रमादी को भी लाभ होता है, परमार्थ में प्रमादी की प्रगति नहीं । रत्नत्रय – 3

Read More »

कर्म सिद्धांत

असाता का उदय चल रहा हो तभी बड़ा ग्राहक आ जाये तो अचानक असाता कहाँ चली गयी ? श्री विमल तीव्र साता ने असाता को

Read More »

क्रोध और सहनशीलता

भीष्म और जटायु ने अपने-अपने जीवनकाल में एक एक पाप/पुण्य किये थे – भीष्म ने समय पर क्रोध ना करने का पाप, जटायु ने क्रोध

Read More »

सम्मूर्च्छन मनुष्य

इनकी योनियों के प्रकार बहुत ज्यादा होते हैं क्योंकि इनकी संख्या भी अन्य मनुष्यों की अपेक्षा बहुत ज्यादा होती है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

जीवन से प्रेम

जीवन से प्रेम तो साधू ही करते हैं क्योंकि वे उसकी क़ीमत जानते हैं/सुख में रहते हैं । भिखारी/दुखी के मरने पर सब संतोष करते

Read More »

धर्मात्मा की पहचान

मुसीबत पड़ने पर भगवान/गुरु की शरण में जाते हो, या संसारी लोगों की  ? सकून में धर्म करने का मन होता है या विषय-भोग का ?

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

February 23, 2018

February 2018
M T W T F S S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728