Month: April 2018

क्रियायें और अंतराल

क्रियाओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है – क्रियाओं के बीच का अंतराल ! उसमें आप पाप के लिये पश्चाताप करते हैं या खुश होते हैं ।

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अंतराय

प्राय: अंतराय एक के उदय और अन्य की उदीरणा से घटित होते हैं । पर कभी किसी का भी उदय ना हो जैसे आहार के

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मनुष्य और वस्तु

मंदिर में टूटी हुई वस्तु नहीं रखी जाती तो टूटा हुआ मनुष्य क्यों जाता है ? टूटी हुई वस्तु जुड़ नहीं सकती, पर टूटा हुआ

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नरक और शरीर

नरक में शरीर के टुकड़े बार बार इसलिये किये जाते हैं, क्योंकि जो शरीर को बहुत महत्व देते हैं, वे ही नरक जाते हैं ।

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प्रकृति

चींटी से हाथी तक के भोजन की व्यवस्था प्रकृति ने की है । लेकिन भोजन बिगाड़ने पर वह भी बिगड़ जाती है । चिंतन

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वंदना/स्तुति

एक भगवान की वंदना से ध्यान केंद्रित होता है, चौबीसों भगवान की स्तुति से भिन्न-भिन्न गुणों पर ध्यान जाता है । चिंतन

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सुगंध

फूंक मार कर दिये को बुझा सकते हैं…! किन्तु… अगरबत्ती को नहीं… क्योंकि जो सुगंध फैलाता है, उसे कोई बुझा नहीं सकता…!! (सुरेश)

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काला धन

धन ना काला होता है ना ही सफेद ! धनवान और उसका मन काला/सफेद होता है । और काले को सफेद करने का उपाय वही

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भूलना

जो भूला*, सो भोला !! आचार्य श्री विद्यासागर जी * बैर आदि भाव

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व्यवहार/निश्चय

व्यवहार सूर्योदय की लालिमा है, निश्चय सूर्योदय । व्यवहार को साधना कठिन, निश्चय को पाना कठिन । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मंगल आशीष

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