Month: September 2018
पीत लेश्या
काम करने से पहले सोचता है । वात्सल्य का भाव बना रहता है । विवेक पूर्वक काम करता है । मनमानी नहीं करता है ।
माधुर्य / पुरुषार्थ
कृष्ण ने गोवर्धन एक ऊँगली से उठाया पर बांसुरी दो ऊँगली से ! जीवन में माधुर्य के लिये पुरुषार्थ से ज्यादा शक्ति चाहिये ।
धर्म-व्युच्छत्ति
चौथे काल में जब धर्म-व्युच्छत्ति होती है, तब ना मुनि होते हैं, ना मंदिर, ना ही श्रावक, पर सम्यग्दृष्टि जीव रहते हैं, और ऐसा होता
साधना
साध (इच्छा) + ना । पारस बनने के लिये, पारस पत्थर की इच्छा का त्याग करना होगा । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
ग्रह-प्रवेश
मंदिर में विधान करके बचे हुये पुष्प/अक्षत तथा गंधोदक घर के कमरों/दीवारों पर छिड़कें, स्वास्तिक बनाकर कलश स्थापित करें । ऐसा ही भरत चक्रवर्ती ने
भगवान का ज्ञान
क्या भगवान को TV/Mobile का ज्ञान नहीं था ? ज्ञान था । तो बताया क्यों नहीं ?? वे ऐसे उपकरणों के घातक परिणाम जानते थे,
श्रुतज्ञान
केवलज्ञान के लिये द्रव्य-श्रुत की आवश्यकता नहीं, जैसे शिवभूति महाराज का श्रुतज्ञान । पर भाव-श्रुत पूरा होना चाहिये । मुनि श्री समयसागर जी
सुधार
गुरुजन भगवान की महिमा बता बता कर थक गये पर सुधार नहीं हुआ, जब भक्तों की महिमा बताना शुरू किया तब बदलाव हुआ ।
आचरण
12 अंगों में पहला अंग आचारांग है । जो कि आचरण की प्रमुखता को दर्शाता है । आचार्य श्री सुनीलसागर जी
धर्म
धर्म, अच्छे को ग्रहण करना और अच्छा बनना । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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