Month: January 2019
मूर्तियों पर चिन्ह
7वीं-8वीं शताब्दियों से पहले मूर्तियों पर चिन्ह नहीं मिलते, कारण ! ताकि एक विशेष भगवान को विशेष महत्व ना मिले । मुनि श्री सुधासागर जी
कारण / कार्य
बीमारी में कई बार कहा जाता है कि कारण पता नहीं लग रहा, उसे डॉक्टर की भाषा में Idiopathic(Idiot डॉक्टर, Pathic बीमार) कहते हैं ।
भक्ति
भक्ति भुक्ति (भोगने) के लिये नहीं, अनुरक्ति के लिये, अनुरक्ति से संसार से विरक्ति, इससे ही मुक्ति मिलेगी । अनुरक्ति से ही केवली के पादमूल
धन / चरित्र
पुरानी कहावत है – “…….. चरित्र गया सब कुछ गया”, उल्टी इसलिये हो गयी क्योंकि हमने चरित्र के स्थान पर धन को ही सब कुछ
जीव-अजीव तत्व
जीव तत्व सार्थक है तो अजीव को क्यों जानें ? दूध को जानना सार्थक पर उसे अशुद्ध कौन कर रहा है/उसे कौन छुपाये हुये है,
पूर्णता
यदि – 1. व्यवहार में विनम्रता 2. वाणी में मधुरता 3. चित्त में सरलता 4. जीवन में सादगी हो तो जीवन में पूर्णता आ जाती
दृष्टि
पानी में पड़ी डंडी टेड़ी ही दिखती है । मिथ्यादृष्टि उसे टेड़ी ही मानता है, सम्यग्दृष्टि जानता है कि डंडी है तो सीधी पर पानी
अच्छे लोग
अच्छे लोगों की परीक्षा कभी न लीजिए, क्योंकि वे पारे की तरह होते हैं; जब आप उन पर चोट करते हैं तो वे टूटते नहीं
रत्नत्रय
रत्नत्रय लेकर तो अगले भव में नहीं जा सकते, पर रत्नत्रय के संस्कार लेकर जाते हैं और उन संस्कारों से अगले भव में भी रत्नत्रय
ज्ञान
वेद तो बहुत पढ़ लेते हैं, वेदना पढ़ सकें तो महत्वपूर्ण है । आ. श्री विद्यासागर जी
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