Month: January 2019
परिणमन
धर्मद्रव्य में परिणमन, स्वयं के स्वभावानुसार तथा दूसरे द्रव्यों की गति से भी समझना चाहिए । मुनि श्री सुधासागर जी ऐसे ही केवलज्ञान में भी
सत्य
सत्याग्रही (सत्य के आग्रही) नहीं बनें, सत्यग्राही बनें — विनोबा सत्य किसे मानें ? वह सब सत्य है जो सच्चे देव, शास्त्र, गुरु के अनुकूल
निद्रा
1 से 3 इंद्रिय वाले सोते कैसे हैं ? आँखों का नींद से (इकलौता) संबंध नहीं है, एक इंद्रिय जीव, पेड़-पौधे भी सोते हैं ।
साधु-भक्ति
साधु की भक्ति देख, प्रियजन डरते/चिड़ाते हैं कि साधु बन जायेगा, पर भगवान की भक्ति करते समय नहीं, ऐसा क्यों ? क्योंकि साधु बनने की
उत्कृष्ट स्पर्शन
उत्कृष्ट स्पर्शन की सीमा 9 योजन है पर ये ऋद्धियों से ही संभव है, जिसमें बिना वस्तु छुए ही ज्ञान हो जाता है । पं.
नारियल
नारियल – कृतज्ञता का भी प्रतीक है । खारा पानी लेकर, मीठा पानी लौटाता है ।
आज़ीविका
आज़ीविका नाम कैसे पड़ा ? क्योंकि धनादि शरीर यानि अज़ीव के लिये कमाया जाता है । चिंतन
सुगति
मनुष्य यदि मनुष्य जैसे कार्य करे तो (अगले भव में) मनुष्य पर्याय निश्चित । श्री लालमणी भाई
Recent Comments