Month: April 2019

बुद्ध

वैराग्य 3 प्रकार/निमित्तों से – 1. बोधित बुद्ध – उपदेश से 2. प्रत्येक बुद्ध – बादल आदि निमित्त से 3. स्वयं बुद्ध – बिना निमित्त

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पुरुषार्थ

पुरुषार्थ कितना और कब तक ? सब फाइलें आप ही Dispose करते हो ? या सब फाइलें ऊपर वालों को ही Divert कर देते हो

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Compassion

The soul has no rainbow, if eyes have no tears. ( क्योंकि इंद्रधनुष आद्रता में ही बनता/ दिखता है )

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मंत्रों के असर

णमोकारादि मंत्र खूब भाते हैं पर अतिशय कम दिखता है, कारण ? गाकर आनंद लेते हैं/पुण्य कमाते हैं पर उसका ध्यान नहीं करते । रागीओं

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मरणांतक समुद्धघात

मरणांतक समुद्धघात चारों गतियों के जीवों को हो सकता है, सर्वार्थसिद्धि तक के जीवों को होता है । ये जीव पहले ही आयुबंध किये होते

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सोच का प्रभाव

फाँसी के सज़ायाफ्ता को कोबरा से कटवाकर मरवाने का प्रयोग किया । कोबरा छुलाकर कटवाने की जगह 2 पिन चुभा दिये गये । थोड़ी देर

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दर्शन / ज्ञान

दर्शन प्रमाण नहीं, ज्ञान प्रमाण है । देखने के लिये गर्दन घुमायी पर वस्तु दिखी नहीं, यह दर्शन हुआ । प्रथम दर्शन को ज्ञान/अवग्रह कहते

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सच्ची आत्मीयता

सच्चे भक्त को गुरु/भगवान से कुछ नहीं चाहिये, उसे तो गुरु/भगवान चाहिये । सच्चे इंसान/मित्र की भी अपने प्रियजनों के प्रति ऐसी ही भावना होती

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नाम / स्वरूप

“बुद्ध, वीर, जिन, हरिहर …… चित्त उसी में लीन रहो”, इसमें विनय-मिथ्यात्व का दोष नहीं लगेगा ? नहीं, क्योंकि नाम कुछ भी हो, ध्यान वीतरागी

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बात मानना/करना

जब सब अपनी अपनी ही मानते और करते रहते हैं फिर भी खुश क्यों नहीं रहते ? इसीलिये क्योंकि वे अपने मन की ही करना चाहते

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मंगल आशीष

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April 25, 2019