Month: May 2019
सिद्धों के गुण
सिद्धों के 8 गुण साधारण होते हैं । अनंत विशेष । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
धनोपार्जन
धनोपार्जन कितना/कब तक ? मन की शांति जब तक बनी रहे, उतना । जिम्मेदारी पूरी होने तक ।
नोकर्म
धर्मद्रव्य आदि जो भी सहयोग देते हैं सब नोकर्म हैं । मुनि श्री सुधासागर जी
सल्लेखना
किसी के बेहोश होने के बाद उसे अन्न जल का त्याग कराना सल्लेखना नहीं, हिंसा है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
रायचंद्र
जल में प्रतिबिंब दिखता है (दूसरों को भी दिखा सकते हैं), वर्फ बन जाने पर दिखना/दिखाना बंद ।
अर्थ/व्यंजन पर्याय
अर्थ-पर्याय अगुरूलघु गुण का विकार, व्यंजन-पर्याय नोकर्म का विकार । मुनि श्री सुधासागर जी
स्व-नियंत्रण
गर्मी लगे तो पूरे कमरे को ठंड़ा करने में तो ढ़ेरों बिजली का खर्चा आयेगा, एक गिलास ठंड़ा पानी पीने से भी ठंड़क पड़ सकती
विनय
विनय = वि + नय = विशेष रूप से ले जाने वाला नय (यथार्थ की ओर) । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
गोचरी-वृत्ति
गोचरी-वृत्ति याने जैसे गाय नीचे मुँह करके/बिना इधर उधर देखे अपना भोजन करती रहती है । ऐसे ही साधु-प्रवृत्ति वाले भी अपने काम से काम
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