Month: June 2019

जीव

निगोदिया – सूक्ष्म भी, बादर भी । निगोदिया अपर्याप्तक भी (एक सांस में 18 बार जन्म मरण सारे जीवों का), पर्याप्तक भी – अंतर्मुहूर्त आयु

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मूर्तियाँ

अकृत्रिम चैत्यालयों में अरहंत (बिना चिंह के) तथा सिद्ध भगवान की मूर्तियाँ होती हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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वर्ण-व्यवस्था

आदिनाथ भगवान के समय वर्ण-व्यवस्था कर्मानुसार थी । तीनों वर्णों का आचरण Same रहता था । मुनि श्री सुधासागर जी नीच गोत्र भी उसी भव

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पूज्यता

पूज्यता स्वापेक्ष है । 46 गुण वाले तीर्थंकर की ही पूजा की जाती है, सामान्य केवली की नहीं, क्योंकि तीर्थंकर के पास ही अंतरंग तथा

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पाप / पुण्य

पुण्य का फल मीठा लगता है/होता है, पर उसकी गुठली पाप रूप होती है ।

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केवली-समुद्घात

केवली-समुद्घात से तीनों अघातिया कर्म कम कैसे हो जाते हैं ? जैसे कम दूर जाने से Calories कम झरती है, दूर तक टहलने से ज्यादा।

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धर्म

धर्म को Washing Powder ना मानें कि पहले प्रयोग करें फिर विश्वास करें, बल्कि बीमा जैसा मानना – “जीवन के साथ भी, जीवन के बाद

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मंगल आशीष

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June 30, 2019