Month: June 2019
खुले मुँह वाले सिंह
समवसरण में भगवान के सिंहासन में खुले मुँह वाले सिंह होते हैं जो पराक्रम का प्रतीक हैं, इसमें वास्तु दोष नहीं हैं । मुनि श्री
ताक-झांक
सब को शौक है, दरारों से झांकने का; दरवाजा खोल दो तो कोई हाल तक नहीं पूछता..! (सुरेश)
श्रम
श्रम से आत्मविश्वास बढ़ता है और आत्मविश्वास सम्यग्दर्शन प्राप्ति में सहायक है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
ज़िन्दगी का हिसाब
ज़रा सी बात से मतलब बदल जाते हैं… उंगली उठे तो बेइज्ज़ती👉🏼 अंगूठा उठे तो तारीफ़ 👍🏻 और अंगूठे से उंगली मिले तो लाज़बाव👌🏽 यही
सकारत्मकता
हर वस्तु/स्थिति “स्यात नास्ति” जितनी है, उतनी ही “स्यात अस्ति” भी होती है । महत्वपूर्ण है कि हमारी दृष्टि किस पर है । आचार्य श्री
संहनन और सहना
नारकियों के संहनन नहीं तो दु:ख सहते कैसे हैं ? वीरांतराय कर्म के क्षयोपशम से, देव भी सुख का अनुभव इसी से करते हैं ।
परोपकार
दीपक का जीवन इसलिए वंदनीय नहीं है कि वह जलता है, अपितु इसलिये वंदनीय है क्योंकि वह दूसरों के लिए जलता है, दूसरों से नहीं
जीव के गुण
जीव के गुण – ज्ञान, दर्शन । चारित्र क्यों नहीं कहा ? डॉ. एस. एम. जैन 1) ये मुख्य/चेतन गुण हैं । वैसे तो अनंत
Doer
People like to think that they shape events, but in reality, it is the other way around.
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