Month: August 2019

निमित्त-बुद्धि

पाप का फल भोगते समय निमित्त-बुद्धि नहीं लगानी चाहिये, बल्कि उपादान-बुद्धि लगानी चाहिये । पुण्य फल भोगते समय निमित्त-बुद्धि जरूर लगानी चाहिये, उपादान-बुद्धि नहीं ।

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उत्साह

प्रसन्न रहना है तो हर काम उत्साह से करो । जो समाधि-मरण के प्रति भी उत्साह रखते हैं, वे ज़िंदगी भी उत्साह/प्रसन्नता पूर्वक जीते हैं

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लेश्या

नारकी और देवों की द्रव्य तथा भाव लेश्या बदलती नहीं है, जबकि मनुष्य और त्रियंचों की दोनों बदलती रहती हैं  । मुनि श्री सुधासागर जी

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निमित्त

सूर्योदय में पूर्व दिशा, निमित्त मात्र है । श्री आदि पुराण

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साधना

साधना की शुरुआत उपवास से । उपवास = आत्मा के पास वास ।

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ज़िंदगी

ज़िंदगी समझ न आये, तो मेले में अकेला; समझ आ जाये तो अकेले में मेला । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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उपयोग

उपयोग जीव है या अजीव ? जीव है क्योंकि वह जीव का अभिन्न अंग/गुण है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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मंगल आशीष

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August 21, 2019