Month: September 2019

पुण्य

पुण्य दो प्रकार – 1. संसार बढ़ाने वाला 2. संसार घटाने वाला । इसकी पृष्ठभूमि में ही अच्छे/सच्चे विचार आयेंगे/मुनि बनेंगे ।

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उत्तम त्याग

• त्याग में प्रत्युपकार आया तो वह तामसिक होगया, प्रदर्शन के साथ राजसिक, कर्तव्य मानकर छोड़ा जैसे सफाई करके हल्कापन महसूस करते हैं, तो सात्विक

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उत्तम तप

■ इच्छा निरोधः तपाः आचार्य श्री विद्या सागर जी ■ आचार्य श्री विद्या सागर जी ने उपवास शुरू किये । मुनिजन आहार के लिए रोज

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आत्मा और कर्म

कर्म आत्मा में, तो आत्मा के क्यों नहीं ? चोर हमारे घर में तो क्या चोर मेरा, या घर चोर का ! चोर आते क्यों

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उत्तम संयम

संयम = • नज़र पर नज़र रखना; • वापस लाना जैसे बैल के ग़लत रास्ते जाने पर किसान लगाम खींचकर वापस लाता है; • व्रतादि

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हुंड़ा का प्रभाव

363 मत तो सामान्य काल में भी होते हैं । हुंड़ासर्पिणी में ये अलग अलग धर्मों में बँट जाते हैं, अपने अपने मंदिर बन जाते

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उत्तम सत्य

सत्य वह जो स्वयं को तथा औरों को सुख पहुंचाये और पवित्र करे । • यदि आप अपने को शरीर या आत्मा में से कोई

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भगवान का मन

भगवान के मन के भाव-मन नहीं, तो मनो-योग कैसे ? द्रव्य-मन जो वर्गणायें लेता है, उससे स्पंदन से ही मनो-योग माना जाता है । मुनि

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उत्तम शौच

शौच = पवित्रता/ लोभ न करना लोभ दो प्रकार का… 1) नैतिक – कुल/ समाज/ राष्ट्र/ धर्म के नियमानुसार; गृहस्थों के लिए निषेध नहीं ।

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मंगल आशीष

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