Month: October 2019
सूतक
सूतक में प्रवचन (जिन की वाणी) सुन सकते हैं, पर जिनवाणी छू नहीं सकते हैं क्योंकि जिनवाणी आयतन है । मुनि श्री सुधासागर जी
नसीहत / वसीयत
नसीहत प्राय: अच्छी नहीं लगती क्योंकि उसमें कुछ छोड़ना होता है, जबकि वसीयत में मिलता है । जिन्होनें नसीहत सही से ली हो उन्हें वसीयत
अभाव / पूर्वक
रत्नत्रय के अभाव में मोक्ष नहीं, रत्नत्रयपूर्वक ही मोक्ष होता है । ऐसे ही शुभोपयोगपूर्वक शुद्धोपयोग, क्षयोपशम पूर्वक क्षायिक-सम्यग्दर्शन होता है, अभाव से नहीं ।
अति-भक्ति
अति-भक्ति विवेक की कमी से होती है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
जीव / आत्मा
आत्मा – जो ज्ञान/दर्शन से पहचाना जाता है, जीव – सिद्धांत ग्रंथों में प्रयोग होता है । मुनि श्री सुधासागर जी
लक्ष
अगर व्यक्ति को पता न हो कि किस ओर जाना है, तो उसे हवा की हर दिशा अपने विरुद्ध लगेगी ।
अन्य मतों की लोकप्रियता
अन्य मत अंग्रेजी दवा जैसे हैं, वीतराग धर्म आयुर्वेद दवा, जो देर से असर दिखाती है पर बीमारी जड़ से खत्म कर देती है/पुनर्जन्म समाप्त
भूल / भगवान
“भूल” और “भगवान” मानों तो ही दिखेंगे । (जब मानोगे कि भगवान महावीर ने आज के दिन पावापुर से मोक्ष प्राप्त किया था) 🙏💐 अनुपम
द्रव्य / क्षेत्र / काल / भाव
हर वस्तु के द्रव्य/क्षेत्र/काल/भाव होते हैं, जैसे कमल द्रव्य है, क्षेत्र कहाँ का है, काल – सुबह खिलता है, भाव – सुगंधी । मुनि श्री
पूजा
पूजा 3 प्रकार की (हर दर्शन में)… 1) आराध्य की…संकल्प सहित, अर्घ स्वाहा करके आराध्य के गुणों को लेन के भाव से । 2) विशिष्ट
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