Month: November 2019
स्वभाव
स्वभाव 2 प्रकार का – 1. स्वाभाविक 2. वैभाविक – बहुत समय तक विभाव में रहने के कारण, विभाव भी स्वभाव बन जाता है/ लगने
मुसीबतें
मुसीबतें नसैनी के टूटे डंडे जैसी होती हैं । जो Extra पुरुषार्थ करके चढ़ते हैं, वे जल्दी मंज़िल पर पहुँचते हैं तथा भविष्य के लिये
श़र्म
श़र्म यानि लज्जा तथा मोक्ष । दोनों में संबंध क्या ? जिनको योग्य कार्य ना कर पाने पर लज्जा आती है, उन्हीं को मोक्ष मिलता
कर्म
कर्म तो निर्जीव होते हैं, उन्हें ठीक करने के लिये क्या करें ? “करनी” ठीक करें, कर्म अपने आप ठीक हो जायेंगे ।
पाक्षिक-श्रावक
जो ख़ुद तो संयम ना ले सके, पर संयमियों के पक्ष में रहे/अनुमोदना करे ।
ज्ञान
आकुलता का कारण – जब दूसरों को जानने की कोशिश हो, निराकुलता का कारण – जब अपने को जानने की कोशिश हो । मुनि श्री
निसर्गज़ / अधिगमज़
निसर्गज़/अधिगमज़ सम्यग्दर्शन में ही नहीं, सम्यक्ज्ञान और सम्यक्चारित्र में भी लगता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
सम्यग्दर्शन
सम्यग्दर्शन प्राय: मिथ्यात्व के माहौल में ही होता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
धर्म-श्रवण
धर्म-श्रवण निर्लोभी से ही सुनें, निर्मोही होकर/निर्लोभी बनने के लिये ।
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