Month: January 2020
संसार छोड़ने में निमित्त
1. द्वादशांग का ज्ञान 2. भगवान की भक्ति – सम्यग्दर्शन 3. शुद्धात्म स्वरूप में अविचल परिणाम 4. केवली समुद्-घात श्री समयसार जी-पेज-176
स्त्री / पुरुष
काँच का बर्तन गिरे तो चकनाचूर, स्टील का गिरे तो सिर्फ दब जाता है/टूटता नहीं है । कारण ! नियति प्रदत्त स्वभाव । चिंतन
कर्म-बंध
सबसे हल्के कर्म राग से बंधते हैं, मध्यम द्वेष से, सबसे ज्यादा मोह से (तीव्रता की अपेक्षा) । शुद्ध-भाव निर्बंध होते हैं । श्री समयसार
शिक्षक / गुरू
शिक्षक वह सिखाता है, जो वह जानता है, गुरु वह उपदेश देता है, जो वह होता है । मुनि श्री सुधासागर जी
कर्म से संबंध
निष्ठुर जीव से ना प्रेम किया जाता है, ना ही द्वेष, फ़िर निष्ठुर कर्म से रागद्वेष क्यों ? श्री समयसार जी – पेज – 152
गुस्सा / नफ़रत
गुस्सा,नफ़रत ये सब धीमा ज़हर हैं…. इन्हें हम ख़ुद पीते हैं और सोचते हैं… मरेगा दूसरा..! (सुरेश)
गणधर / श्रुतकेवली
दोनों श्रुत के ज्ञाता होते हैं, पर गणधर श्रुत के रचयिता भी होते हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Gentleness
It is possible that you are right, but you can afford to be gentle.
मानस्तंभ
इसमें 8 प्रतिमाओं की व्यवस्था भी होती है । 4 नीचे, दर्शनार्थ/मंदिर रूप । ऊपर की 4 मान समाप्त करने । मुनि श्री सुधासागर जी
परीक्षा / प्रतीक्षा / समीक्षा
परीक्षा संसार की करो, प्रतीक्षा परमात्मा की और समीक्षा अपनी करो । पर हम… परीक्षा परमात्मा की करते हैं, प्रतीक्षा सुख की और समीक्षा दूसरों
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