Month: February 2020

निर्जरा

निर्जरा दो तरह से – 1. भोग से (भोगकर) – धीरे धीरे 2. योग से – तेजी से । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मन चंचल

मन तो चंचल ही होता है, चाहे साधु का ही क्यों न हो ! आ. श्री शांतिसागर जी – पर साधु मन के विकल्पों को

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पूजा / जाप / ध्यान

पूजा में भगवान के गुणगान है + अपना दुखड़ा, जाप में भगवान के गुणों का वंदन + अपना Interest, ध्यान में सिर्फ भगवान के गुणों

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अंधेरा

दो प्रकार का – 1. बाहर का, प्रकाश करने पर समाप्त 2. अंदर का – ज्ञान होने पर समाप्त/जागने पर समाप्त सोचें दोनों ही अंधकार

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पुण्य / पाप

मुठ्ठी बांधे आते हैं (पुण्य लेकर; मनुष्य ही) हाथ पसारे जाते हैं (पुण्य खर्च करके), फिर भी वैभव को मुठ्ठी में बांधे रखने की कोशिश

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ज्ञान / भाव

केवलज्ञान, ज्ञान गुण की निरावरत (आवरण रहित) पर्याय है । केवलज्ञानी अपने ज्ञान को अनुभव की पर्याय नहीं बनने देते जैसे उपयोग दूसरी तरफ होने

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भगवान

कुछ मतानुसार भगवान पापियों का नाश करने आते हैं, अन्य मतानुसार पुण्यात्माओं के उद्धार के लिये, पर वीतराग धर्मानुसार अपने अंदर बैठे कर्मरूपी आतंकी का

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समवसरण में मुनि

समवसरण में जो अवधि, मन:पर्यय, केवल-ज्ञानियों की संख्या बतायी है वह उनके पूरे तीर्थंकर अवस्था में, भगवान के सामीप्य में अवधिज्ञानादि हुआ था/उनके शिष्य के

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Personalities

Some people change their ways when they see the light; others when they feel the heat. (बहुतायत उन लोगों की है जिनको अंधेरा और सीलन

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मंगल आशीष

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February 14, 2020

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