Month: June 2020

शल्य

1. मिथ्या-शल्य = मिथ्यात्व को जानते हुये भी छोड़ ना पाना 2. माया-शल्य = अंदर कपट, बाहर सरलता का नाटक 3. निदान-शल्य = भोगों का

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जलकाय

प्रासुक जल करने में आरंभिक हिंसा स्थावर जीवों की है, जो श्रावक हर क्रिया (भोजनादि) में करता ही रहता है । पर श्रावक हिंसा करने

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पर्यावरण

पर्यावरण की रक्षा की उत्कृष्ट साधना जैन संतों में दिखती है— साधनों का कम से कम प्रयोग; अधिक से अधिक रक्षा, यदि आहार लेते समय

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पापोदय

पापोदय को शांत करने/शांति पाने के लिये – 1. अपाय-विचय = करणानुयोगानुसार 2. उपाय-विचय = चरणानुयोगानुसार मुनि श्री सुधासागर जी

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सुधारने की सीमा

सुधारने का प्रयास इसलिये करते हैं ताकि हँसने का वातावरण बने । यदि इस प्रयास में हमको रोना आ जाये तो सुधारना बंद कर दो

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संक्लेश

संक्लेश से बचने के लिये… निमित्त-बुद्धि छोड़कर उपादान-बुद्धि/दृष्टि अपनाओ । मुनि श्री सुधासागर जी

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चंदन / केशर

ललाट पर टीका चंदन का ही लगाना चाहिये केशर का नहीं, क्योंकि चंदन ठंडी होती है और केशर गर्म ।

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मंगल आशीष

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June 25, 2020