Month: August 2020

चक्रवर्ती / अर्धचक्री

अर्धचक्री पवित्र पुण्य के बदले वैभव मांगते हैं, इसलिये नरक जाते हैं, चक्रवर्ती को बिना मांगे मिलता है सो वे प्राय: स्वर्ग/मोक्ष जाते हैं ।

Read More »

वचन

वचन तीन बार क्यों ? पहली बार मंद सहमति, दूसरी बार नकारात्मक (हाँ, हाँ….) तीसरी बार पक्का । आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

तीर्थंकरों के शरीर पर चिन्ह

“ओम् ह्रीं त्रैलोक्य पावनादित्यवर्ण परमाष्ठोत्तर शत लक्षण नवशत व्यंजनोपेताय एक सहस्त्र अष्टगुण मंडिताय श्री आदिपरमेश्वराय नम:” भैया,इसमें भगवान के शरीर पर 108 शुभ लक्षण ,900

Read More »

बुराई का आकर्षण

बुराई के प्रति आकर्षण होता ही नहीं है । जिसको बुरा सिर्फ कहा ही नहीं, मन से भी बुरा मान लिया, जैसे कूड़ा/ज़हर, तो आकर्षण

Read More »

स्व व परमात्म चिंतन

आचार्यों ने स्व-चिंतन को उत्तम, देह को मध्यम, विषयों को अधम और पर-चिंतन को अधमाअधम कहा है । परमात्मा भी तो “पर” है, उसका चिंतन

Read More »

भगवान का जन्मदिन

भगवान का जन्मदिन मनाने के कई लाभ – 1. दूसरों की खुशी में शरीक होने का पुण्य । 2. बड़े आदमी के उत्सव में शरीक

Read More »

कर्मों में फेरबदल

चीन में नाक चपटी, अब Improve हो रही है । कर्मोदय के वातावरण में बदलाव करके, कर्म अपना फल… द्रव्य, क्षेत्र, काल और भावानुसार देते

Read More »

हार जीत

जीत निश्चित हो तो अर्जुन कोई भी बन सकता है, पर हार निश्चित हो तो, अभिमन्यु बनने का जो साहस रखते हैं, उनके नाम से

Read More »

देशघाती / सर्वघाती

देशघाती प्रकृति व्यवधान नहीं डालतीं जैसे सम्यक्-प्रकृति, सम्यग्दर्शन को प्रकट होने में अवरोध नहीं करती । मिथ्यात्व सर्वघाती है, सम्यग्दर्शन प्रकट नहीं होने देती ।

Read More »

आनंद

धन में आनंद नहीं, धनी होने में है । ज्ञान में आनंद नहीं, ज्ञानी होने में है ।

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

August 11, 2020