Month: September 2020
भगवान के अंश
एक वेदों के विद्वान ने आचार्य श्री विद्यासागर जी से प्रश्न पूछा– जब हम सब भगवान के अंश हैं, तो हम सब अलग-अलग क्यों हैं
संगति
भौंरे और गोबर के कीड़े की मित्रता हो गई, भौंरा गुबरीले से मिलने गया तो उसको गोबर खाने को दिया, दुर्गंध सहनी पड़ी । गुबरीला
संसार
अशुभ/पाप ही संसार है – आचार्य समंतभद्र जी ; इस चिंतन से, अशुभोपयोग से बच सकते हैं । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
उपयोग
लोहे पर जंग ना लगने देने का उपाय – उपयोग जैसे हथौड़ा/चाकू/रेलपटरी/सुई यदि उपयोग में न आयें तो उन पर जंग लग जाती है ।
नय
व्यवहार नय – पिता पुत्र की अपेक्षा, “पर” सापेक्ष, भेद रूप, दर्जी द्वारा कपड़े के टुकड़े करना, निश्चय तक पहुँचाता है । निश्चय नय –
वेदना / संवेदना
अपने दु:खों से दुखी होना वेदना, पाप-बंध; दूसरों के दु:खों से दुखी होना संवेदना, पुण्य-बंध ।
जन्मोत्सव
जन्म के 45वें दिन बच्चे को मंदिर ले जायें । पिता अभिषेक/पूजा करके बच्चे को गंधोदक लगायें तथा माता/पिता 8 साल तक बच्चे के अष्टमूलगुण
कामना / प्रार्थना
कामना में इच्छा/आग्रह है, पूरी ना होने पर दल बदलते रहते हैं; प्रार्थना में ना इच्छा है, न उसके पूर्ण होने का भाव और ना
रात्रि में आरती
रात्रि में मंदिर में सामग्री नहीं चढ़ाते हैं फ़िर दीपक से आरती क्यों करते हैं ? क्योंकि घी और अग्नि दोनों प्रासुक होते हैं ।
भाग्य
बरसे बादल वहाँ वहाँ, थे सागर जहाँ जहाँ । हवाओं का क्या दोष ? फ़रमान था, ऊपर वाले का । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Recent Comments