Month: December 2020

मंत्र का फल

मंत्र का फल पाने के लिये अपने अंदर पात्रता/विशुद्धता पैदा करनी होगी । भक्तामर का फल पाने आ. मांगतुंग जैसा बनना होगा । मुनि श्री

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स्वाध्याय

जिस पदार्थ को स्वयं जानते हैं, उस पदार्थ को भी गुरुजनों से पूछना चाहिए; क्योंकि उनके द्वारा निश्चय को प्राप्त कराया हुआ पदार्थ परम सुख

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आत्मा/मन

आत्मा तो अरूपी/अमूर्तिक/सूक्ष्म है, फिर मन कैसे जान लेता है ? जिन छोटी वस्तुओं को आँख नहीं देख पाती, उन्हें चश्में से देख सकते हैं

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धर्म / पाप

धर्म पापीओं को नहीं बचाता, पाप से बचाता है । इसलिये पाप के उदय में और-और धर्म करें ताकि और-और पाप का उदय ना आये

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स्वाहा

1. स्व (स्वयं की वस्तुयों) का अर्पण 2. मंगल रूप 3. व्यवहार मेंं – सर्वनाश

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गुण / दोष

दूसरों के अवगणों को नहीं देखना ही, अपने भीतर के अवगुणों को फ़ेंक देना है; और दूसरों के गुणों को देखना ही, एक प्रकार से

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निर्विचिकित्सा

गुणों की ओर दृष्टि चली जाने से फिर इस शरीर के प्रति घृणा नहीं होती है, गुण क्या हैं ? सम्यग्दर्शन, सम्यक्ज्ञान, सम्यक्चारित्र ही सच्चे

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ग़लती

ज़िंदगी में ग़लती से कुछ ग़लत हो जाये तो घबराना मत क्योंकि… दूध फटने से,वही घबराते हैं… जिन्हें पनीर बनाना नहीं आता । (अनुपम चौधरी)

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काल के प्रदेश

एक प्रदेशी “काल” को, अप्रदेशी भी कहा है; क्योंकि… 1. काल कभी बहुप्रदेशी नहीं बन सकता है । 2. “एक” का महत्व नहीं जैसे एक

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अवनति

अच्छी अच्छी नस्लें समाप्त हो रहीं हैं, पर नये नये वायरस पैदा हो रहे हैं । यह दर्शाता है कि हम अवनति की ओर अग्रसर

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मंगल आशीष

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