Month: January 2021
एकेंद्रिय के कषाय
1. एकेंद्रिय जीवों के मिथ्यात्व होने से अनंतानुबंधी (+ तीनों) कषायें होती हैं । 2. निगोदियाओं के इस कषाय के कारण ही बार बार निगोदिया
संयम
सबसे पहला और सरल संयम है – “नज़र पर नज़र रखना” मुनि श्री अविचलसागर जी
विचार
1. विचारों का आना – कर्मोदय से, ये प्राय: गंदे ही होंगे(क्योंकि संस्कार बहुतायत में गंदे ही हैं), और उन्हें रोकना भी कठिन है, वे
देव-दर्शन
देव-दर्शन अनंत बार किये होंगे, पर उससे क्या ! आज ऐसे करो जैसे पहली बार कर रहे हो (अद्याष्टक स्त्रोत) । ऐसा दर्शन, सम्यग्दर्शन में
आयु / कर्म
आयु कट रही है जैसे कैंची कपड़े काटती है, कर्म बढ़ रहे हैं जैसे अलमारी में कपड़े, क्या करें ? कैंची तो अपना कर्तव्य करती
अणु
वैसे तो सब अणु एक से ही होते हैं पर शक्ति-अंश की अपेक्षा उनमें जघन्य/उत्कृष्टता घटित होती है । आर्यिका श्री विज्ञानमति माताजी
साधुओं की रक्षा
साधुजन अपनी रक्षा खुद नहीं करते ! चाहे उनके पास कितनी भी मंत्रादि शक्तियाँ हों । क्योंकि उसमें दुशमन की हिंसा का दोष लगेगा/ उत्तम-अहिंसा
निमित्त
अनंत शक्तिवान सिद्ध भगवान भी पूर्व शरीर के निमित्त से (जो सबसे हीन शक्ति वाला होता है), अनंतकाल तक उसी आकार में बने रहते हैं
जय हो
भगवान की “जय हो” के नारे क्यों लगाये जाते हैं ? वे तो सब पर विजय प्राप्त कर चुके हैं ! “जय हो” नारा नहीं, जयघोष है…
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