Month: April 2021
मन / आत्मा
मन खिड़की है (अंदर से आत्मा को संसार दिखाने, बाहर से आत्मा को देखने/समझने के लिये) । आत्मा देखने वाली है । मुनि श्री सुधासागर
सामंजस्य
यूँ ही नहीं आती ख़ूबसूरती रंगोली में, अलग-अलग रंगों को एक होना पड़ता है । (सुरेश)
सम्यग्दर्शन
क्षयोपशम सम्यग्दर्शन से प्रथमोपशम सम्यग्दर्शन में नहीं जाते । मिथ्यात्व, द्वितीयोपशम, क्षायिक सम्यग्दर्शन में जा सकते हैं । मिथ्यात्व से अंतरमुहूर्त में वापस क्षयोपशम सम्यग्दर्शन
वाणी
वाणी में ओज, मृदुता/माधुर्य और प्रसाद (फल) होना चाहिये, ख़ासतौर पर सल्लेखना के समय । मुनि श्री सुधासागर जी
सम्यग्दर्शन
क्षयोपशम तथा द्वितीयोपशम सम्यग्दर्शन, अंतरमुहूर्त के बाद दुबारा हो सकता है । मुनि श्री सुधासागर जी
सकारात्मकता
नज़रिया ऐसा हो कि दरिया (नकारत्मकता) में ज़रिया (सकारात्मकता) दिखे । यश-बड़वानी
परमाणु से स्कंध
1. परमाणुओं में बंध, उनमें स्निग्ध या रुक्ष गुणों के कारण होता है । 2. परमाणुओं के शक्त्यांशों में – I. 2 का अंतर होना
दृष्टि
प्रभु का रास्ता बड़ा सीधा है और बड़ा उलझा भी…. बुद्धि से चलो तो बहुत उलझा और भक्ति से चलो तो बड़ा सीधा… विचार से
क्षेत्र का प्रभाव
निगोदिया पर क्षेत्र का प्रभाव नहीं पड़ता । मुनि श्री सुधासागर जी (यदि हम पर नहीं पड़े तो, हम क्या हैं और क्या बनने की
गृहस्थ
जो गृह में स्थित हो, वह “गृहस्थ”। गृहस्थ शब्द प्राकृत भाषा में “घरत्थ“* से आया है । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी *प्रवचनसार गाथा – 291
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