Month: May 2021
आत्मा का ज्ञान
निश्चय से ज्ञान अमूर्तिक है, पर आज हमारा ज्ञान कर्म के आवरण के कारण मूर्तिक है । तो मूर्तिक ज्ञान से अमूर्तिक आत्मा का अनुभव
विषय / इन्द्रियाँ
आखिरी इन्द्रिय सबसे ज्यादा ताकतवर होती है जैसे चींटी की घ्राण, पतंगे की चक्षु । ये सब अज्ञानी जीव इस इन्द्रिय को सबसे ज्यादा विषयों
कृतत्व / भोक्तृत्व / स्वामित्व
आचार्य श्री विद्यासागर जी से एक व्यक्ति ने पूछा – सम्यग्दृष्टि के कर्तृत्व, भोक्तृत्व और स्वामित्व भाव तो हो नहीं सकते ? आचार्य श्री –
संस्कार
पहले गुरुकुल (गुरु के कुल) में जाते थे, वैसे ही संस्कार पाते थे । आज स्कूल (ईशु के कुल) में जाते हैं, संस्कार कैसे पा
लौकिक / अलौकिक
लौकिक = लोक से संबधित सामान्यतः लौकिक का ही ज्ञान अनुभव में आता है, अलौकिक का नहीं। उसे तो जानते / मानते ही नहीं। अलौकिक
चीज़ों में ख़ुशियाँ ?
हथेली तब भी छोटी थी, हथेली अब भी छोटी है, पहले खुशियां बटोरने में, चीजें छूट जातीं थीं , अब चीजें बटोरने में खुशियां, छूट
क्षयोपशम सम्यग्दर्शन की स्थिति
क्षयोपशम सम्यग्दर्शन की उत्कृष्ट स्थिति 66 सागर से कुछ कम, क्योंकि आखिरी अंतर्मुहुर्त में या तो क्षायिक सम्यग्दर्शन प्राप्त करें अथवा पहले या दूसरे या
मौत का डर
🍃🌸🍃🌸🍃🌸 मौत के डर से ही सही,….. ज़िन्दगी को फुर्सत तो मिली….. सड़कों को राहत……. और घरों को रौनक तो मिली…. प्रकृति, तेरा रूठना भी
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