Month: July 2021
मनुष्य भव
मनुष्य भव की उत्कृष्ट स्थिति 47 कोटि पूर्व + 3 पल्य; 47 भव कर्म-भूमि में और अंतिम भोग-भूमि में । इसमें 16 पुरुष + 16
अनंतानुबंधी
घर में गमी हो जाने पर, पहले त्यौहार पर मिठाई खिलाने समाज वाले आते हैं क्योंकि गम/दु:ख 6 माह से ज्यादा नहीं चलना चाहिये वरना
उपकार
उपकार करके यदि कह दिया तो वह व्यापार हो गया । जब सीता जी को वनवास दिया तब उनके मन में यह भाव भी नहीं
श्रमण / श्रावक
पंचमकाल में श्रमण और श्रावक दोनों ही 16 स्वर्ग तक ही जा सकते हैं, तो श्रमण बनकर इतना कष्ट क्यों सहा जाय ? श्रमण स्वर्ग
वैभव के लिये झगड़े
जिस सीट के लिये इतनी मारपीट/झगड़ा किया, उसे स्टेशन आने पर छोड़कर चुपचाप चल देते हैं । अंत समय आने पर ! लालमणी भाई –
तप
इच्छा निरोध: तप: मंदिर जाने की इच्छा का निरोध कर रहे हों तो ? निवृत्ति को तप कहें ? वैयावृत्ति को ? सो सही परिभाषा
मार्ग / मंज़िल
गुरु/भगवान को पाकर अहोभाग्य अनेकों बार माना, फिर कल्याण क्यों नहीं हुआ ? मार्ग तो मिला पर मंज़िल नहीं, क्योंकि गुरु हमें पाकर धन्य नहीं
मोक्षमार्ग
मोक्षमार्ग पर अपने को मज़बूत/सुरक्षित किया जाता है जैसे सुकोशल मुनिराज ने शेर को रोका नहीं (ऋद्धियाँ होने के बावजूद) बल्कि अपने उपयोग को अंदर
परिस्थितियाँ
परिस्थितियों से नहीं, परिणामों से डरो, परिस्थितियाँ तो थोड़े समय के लिये निर्मित होती हैं, परिणाम स्थायी प्रभाव छोड़ते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी
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