Month: August 2021
क्षायिक दान
सिद्धों में क्षायिक-दान के भाव अनंत काल तक रहते हैं (Direct लेने वाला नहीं है सो प्रकट नहीं)। उनका मात्र ध्यान करके हम निर्भीक हो
भगवान
भगवान में तो सैकड़ों सूर्य का तेज है, इनसे दूर से ही प्रेरणा लेना। अपने काम कराने की प्रार्थना भी मत करना, भगवान आ भी
क्षमा
कषाय की समय-सीमा होती है; क्षमा की नहीं, क्योंकि क्षमा तो आत्मा का स्वभाव है। इसीलिये पार्श्वनाथ भगवान का जीव 10 भवों तक कमठ के
मर्यादा
जिन वस्तुओं की मर्यादा दिनों में है, क्या उनका दिन 24 घंटे का मानें ? वैसे तो आगम में इसका खुलासा नहीं दिया है पर
दोपहर
दोपहर नाम क्यों पड़ा? सूर्योदय के दो पहर बाद जो समय होता है, उसे दोपहर कहते हैं। मुनि श्री सुधासागर जी
सम्बंध
1. प्राकृतिक – माता-पिता/बेटे-बेटी के 2. सम्पादित – दोस्ती/शादी-पति/पत्नि धर्म में दोनों उपादेय नहीं । 3. त्रैकालिक – वांछनीय मुनि श्री महासागर जी
सम्बंध
सम्बंध शौक नहीं, मजबूरी है, संसारी जीवों के लिये । जब मजबूरी है तो झुककर निभाओ भी । सम्बंध जब टूटते हैं तो बैर बन
वस्त्र और ज्ञान
वस्त्र से निरावरण हुए बिना, ज्ञान भी निरावृत नहीं हो सकता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
मन
मुनि श्री प्रमाणसागर ने किसी विषय पर आचार्यश्री से कहा – “ये मन को अच्छा नहीं लग रहा” आचार्यश्री – मैने दीक्षा आत्मा को अच्छा
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