Month: September 2021
उत्तम संयम धर्म
संयम दस धर्मों में छ्ठे दिन ही क्यों रखा गया ? क्योंकि छ्ठे गुणस्थान में ही संयम संभव है । श्रावक भावना लिंगी है तथा
संयम धर्म
अपने मन-वचन और इन्द्रियों को संयमित कर लेना, नियमित कर लेना, नियन्त्रित कर लेना, इसी का नाम संयम है। यदि हमने अपने जीवन में सत्य-ज्योति
उत्तम सत्य धर्म
चार ज्ञान के धारी भगवान भी केवलज्ञान तक मौन रखते हैं । क्यों ? क्योंकि वो थोड़ा सा भी असत्य नहीं बोलना चाहते हैं ।
सत्य धर्म
जिसका मन जितना सच्चा होगा उसका जीवन भी उतना ही सच्चा होगा । जीवन उन्हीं का सच बनता है जो कषायों से मुक्त हो जाते
उत्तम शौच धर्म
चौथे धर्म (उत्तम शौच) की प्राप्ति, चौथे गुणस्थान की प्राप्ति का इशारा है यानि सम्यग्दर्शन । लाभ को छोड़ोगे तभी लोभ छूट पायेगा । मुनि
शौच धर्म
उत्तम शौच ( लोभ न करना ) :- अपन आनन्द लें उस चीज़ का जो अपने को प्राप्त है । लेकिन जो अपने पास है
उत्तम आर्जव धर्म
ऋजुता से ही ऋजु गति मिलती है या कहें सरलता से ही सरल गति मिलती है । स्त्री और त्रियंच पर्यायों का सम्बंध मायाचारी से
आर्जव धर्म
आर्जव धर्म , मायाचारी का उल्टा यानि सरलता । मायाचारी व्यक्ति प्राय: साँप जैसा होता है, ऊपर से सुंदर और चिकना, पर अंदर से ज़हरीला
उत्तम मार्दव धर्म
अपमान परिषह जय, 22 परिषहों में से एक महत्वपूर्ण परिषह है। पटिये (छोटी-छोटी बातों) के पीछे परिणाम मत पलटो, वरना तुम्हारी पटिया पलट जायेगी। मार्दव
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