Month: October 2021
णमोकार मंत्र पर श्रद्धा
णमोकार मंत्र पर श्रद्धा का अर्थ है…. अरहंत/सिद्ध अवस्थाओं पर श्रद्धा/ उनके अस्तित्व पर विश्वास/ अरहंत भगवान के (शास्त्र रूप) शब्दों पर श्रद्धा के साथ
अभिमान
बड़े लोगों में प्राय: अभिमान देखा जाता है, फिर भी उनका वैभव/नाम कम क्यों नहीं होता ? एक बार बड़ी कमाई (पुण्य) कर लेने पर
मंदिर निर्माण
ऋषभदेव भगवान के आने से पहले इंद्र ने मंदिर निर्माण क्यों करवाया ? जबकि भगवान ने तो उसमें दर्शन/पूजा की नहीं ? क्योंकि ऊसर भूमि
पैसा
पैसा मानव जीवन की सबसे ख़राब खोज है, पर मानव के चरित्र को परखने की सबसे विश्वसनीय सामग्री । (अनुपम चौधरी)
विग्रह गति
विग्रह गति में सुख-दु:ख का वेदन नहीं होता क्योंकि उसमें नोकर्म नहीं रहता है । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
वृद्धावस्था
वृद्धावस्था में शरीर असुंदर क्यों हो जाता है ? ताकि अब तो शारीरिक आकर्षण छोड़ कर आत्मा की ओर आकर्षित होना शुरु करो । बीमारियों
उत्तम चरम शरीर
1) उत्तम शरीर – चक्रवर्ती आदि (मोक्षगामी नहीं) 2) चरम शरीर – 3 पांडव (मोक्षगामी) 3) उत्तम चरम शरीर – तीर्थंकर। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
भक्त / भगवान
भगवान, धर्म गुरु, शास्त्र, कुल, जाति, देश सब सच्चे चाहिये, भक्त (मैं)? कुंडली तो दोनों की समान होनी चाहिये न! मुनि श्री सुधासागर जी
पुण्याश्रव
सराग-संयम, संयमा-संयम और आकाम-निर्जरा मन से होते हैं, बाल तप शरीर से, इनसे ही पुण्याश्रव होता है/देवायु का बंध होता है । मुनि श्री प्रणम्यसागर
Honesty
आज के दिन दो महान ईमानदार व्यक्तियों के जन्मदिन के उपलक्ष में …. (Pranshi Jain)
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