Month: December 2021
रस-त्याग
दूध, दही, छाछ, घी का अलग-अलग स्वभाव/तासीर होती है । दही का त्यागी छाछ ले सकता है । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
ज्ञान
हे ! दीमको, शास्त्रों को खा-खा कर अपने नाम/दाम की भूख मत मिटाओ, संस्कार/संस्कृति बनाने में ज्ञान का उपयोग/प्रभावना करो । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
मोक्ष
योगियों ने मोक्ष का स्वरूप कैसे जाना? संसार की परम्परा के विपरीत: मोक्ष। संसार है, तो उसका विपरीत भी होगा; जैसे दिन है, तो रात
सम्भाल
गुरु, रेडिओ की तरह Connection कराके शिष्यों को चलने योग्य बना देते हैं। Fine Adjustment तो शिष्यों को खुद ही करना होता है (भावों में
कर्मबंध
कर्मबंध से बचने के लिये बहुत सावधान रहना होता है – किसको देख रहे हो ? क्यों देख रहे हो ?? हिंसाकृतों को/परिग्रह को देखने
दूर से निर्णय
मंदिर से लौटते समय दूरी पर सत्संगी बहन दिखायी दीं । समझ नहीं पा रहा था कि वे मंदिर की ओर आ रही हैं या
श्रमण
श्रमण… शरीर की अपेक्षा वस्तु हैं, श्रमणता की अपेक्षा तत्त्व, जीव की अपेक्षा पदार्थ। कुछ श्रमण इतने ऊँचे उठ जाते हैं कि श्रमण-संस्कृति का निर्माण
नियतिवाद
नियतिवाद जीवन के अंतिम दिनों में चलेगा। लेकिन पहले आ गया तो समझना, जीवन का अंत आ गया। मुनि श्री सुधासागर जी
नियम का फल
छोटा सा बीज, फसल में सैकड़ों/हजारों बीज (फल रूप) जैसे चांडाल ने सिर्फ चौदस को हिंसा न करने का नियम लिया। फल ? देवों ने
पूजा
पूजा खड़े*(अवस्था वाले) की होती है, लेटे/मरे की नहीं। * Alert/ पुरुषार्थी
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