Month: December 2021

अचौर्य

विसंवाद से भी अचौर्य खंडित हो जाता है क्योंकि विसंवाद से श्रद्धा चोरी हो जाती है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Read More »

Champion

Champion वही बनता है जिसकी दृष्टि अर्जुन की तरह Goal/चिड़िया की आँख पर रहती है । दृष्टि को जितना केन्द्र से दूर ले जाओगे उतना

Read More »

दृष्टि

द्रव्य-दृष्टि 》》》 नीति दृष्टि है, युधिष्ठिर ने धर्मराज होकर भी झूठ बोला। दिव्य-दृष्टि 》》》 सम-दृष्टि है, धर्मात्मा/अधर्मात्मा, मरने/जीने में समभाव। मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

पौष्टिक भोजन

ज्यादा पौष्टिक भोजन मन को विकारी बनाता है तथा तन को बीमार करता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Read More »

संज्ञा

आहार, भय, मैथुन और परिग्रह में तीन की अभिलाषा तो प्रत्यक्ष है । पर भय को इच्छा कैसे समझें ? भय कब ? जब किसी

Read More »

सोच

बाहुबली : मेरा-मेरा, तेरा-तेरा । भरत : मेरा-मेरा, तेरा भी मेरा । वैराग्य के बाद : जो तेरा सो तेरा, जो मेरा वह भी तेरा

Read More »

गंधी / गंदी

गंधी चारों और सुगंध फैलाता है जैसे हंस सरोवर की शोभा, गंदी गंदगी जैसे सरोवर में सूअर कीचड़-कीचड़ कर देता है। एक-एक गुण का आदान/प्रदान

Read More »

संवर

संवर तो पहले गुणस्थान में भी है जब जीव सम्यग्दर्शन के सम्मुख खड़ा हो । दूसरे में 25 प्रकृतियों का संवर है, पर ये असंख्यात

Read More »

निंदक

“निंदक नियरे राखिये, आंगन कुटी छवायै” सार्वजनिक क्षेत्र में आंगन रामलीला मैदान होता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

December 6, 2021

December 2021
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031