Month: January 2022
कर्म-फल चेतना
पेड़ दूसरों को फल और छाया देते हैं; ख़ुद नहीं लेते। फिर भी उन्हें पुण्य नहीं; ऐसा क्यों? उनके दूसरों को देने के भाव नहीं
अनेकांत
सब सही कहना सही नहीं। समग्रता से, दूसरे के दृष्टिकोण से देखना अनेकांत है। गांधी जी ने कहा था, “मैं अपने दुश्मनों को भी अपना
अगुरुलघु
अगुरुलघु – 1. सामान्य गुण – जीव तथा अजीव में, ख़ुद के गुण कम न हों, अन्य के गुण आयें नहीं। 2. गोत्र कर्म के
आहार दान
पंचाश्चर्य आहार-दान पर ही होते हैं; तीर्थंकरों के कल्याणकों पर भी नहीं। आर्यिका श्री विज्ञानमती माताजी
एकत्व
आइने के सौ टुकड़े करके मैंने देखे हैं। एक में भी अकेला था, सौ में भी अकेला। मुनि श्री महासागर जी
महावीर भगवान के जन्म और निर्वाण स्थल
महावीर भगवान के जन्म और निर्वाण स्थलों को लेकर विवाद है; जब कि शेष 23 तीर्थंकरों के जन्म और निर्वाण स्थलों के संबंध में विवाद
पूजा मूर्ति की या मूर्तिमान की ?
मूर्तियों के पंचकल्याणक तो अलग-अलग तिथियों पर मनाते हैं, लेकिन उन मूर्तियों की पूजा में मूर्तिमान के कल्याणकों की वास्तविक तिथियाँ ही बोलते हैं। तो
संस्कार
संस्कार देने की चीज़ नहीं, जगाये जाते हैं । उन्हें बनाये रखने के लिये, सुसंगति दी जाती है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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