Month: March 2022
आत्मा
जिस प्रकार पहले कपड़े धोते हैं, नील देते हैं, फिर टिनोपाल, फिर प्रेस करते हैं, तब कपड़े चमकते हैं । उसी प्रकार पहले आरंभ-परिग्रह को
कर्मसिद्धांत और पुनर्जन्म
जो कर्मसिद्धांत पर विश्वास करते हैं, उन्हें पुनर्जन्म पर विश्वास करना ही होगा। वरना इस जन्म के अंत समयों में किये गये कर्मों का फल
ईर्यापथ आश्रव
ईर्या = गमन = आना जाना कर्मों का (आत्म प्रदेशों से) क्योंकि आत्मा में चिकनापन (कषाय) नहीं है। पथ = रास्ता, पर शुभ-कर्मों और नोकर्मों
मनुष्य जीवन की सार्थकता
पनही* पशु के होत हैं, नर के कछू नहीं होत। नर यदि नर-करनी करे, तब नारायन होत। *जूता (पशु की खाल का) मुनि श्री प्रमाणसागर
मूंगफली
जमीन के ऊपर पैदा ना हो कर भी, भक्ष क्यों ? 1. जमीन की ऊपरी पर्त पर होती है, आलू आदि की तरह नहीं ।
ग़रूर
दो तरह से चीजें देखने में छोटी नज़र आतीं हैं – 1. दूर से 2. ग़रूर से (अनुपम चौधरी)
श्वास
एक श्वास में 8+10 बार में जो श्वास कहा है वह हमारी एक सांस (लेना) नहीं बल्कि “नाड़ी” (Pulse) है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
सक्रियता
जुगुनू तब तक ही चमकता रहता है जब तक वह उड़ता रहता है/सक्रिय रहता है। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
स्वाध्याय
द्रव्य-संग्रह, रत्नकरंड श्रावकाचार तथा तत्त्वार्थ-सूत्र; ये तीन हो जाते हैं तो लगभग आप “शास्त्री” बन जाते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी
कर्म
ज़िंदगी का Calculations तो बहुत बार किया, पर सुख, दु:ख का Account कभी समझ नहीं आया । जब Total निकाला तो कर्मों के सिवाय और
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