Month: March 2022
वीर्य
वीर्य = शक्त्ति। अजीव में भी बहुत शक्त्ति होती है जैसे संहनन, उत्कृष्ट सातवें नरक या मोक्ष तक ले जा सकता है। मुनि श्री प्रमाणसागर
ज्ञान
एक सूर्य का प्रकाश है जो सदैव एक सा रहता है जैसे भगवान का ज्ञान। दूसरा सूर्य के आगे आये बादलों से छन कर आया
वाचना
शिष्यों को पढ़ाने का नाम वाचना है। वाचना का अर्थ होता है – प्रदान करना। पर वाचना का अर्थ आजकल “वाचन” हो गया है/Self Study
धर्म
अभाव में धर्म करना बड़ी बात नहीं, अभाव का एहसास न होना, धर्म की बात है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
भाव
एस.एल.जैन जी के दीक्षा वाले दिन, एक 101 वर्ष की दादी आयीं और दीक्षा ग्रहण के भाव दर्शाये। दीक्षा लेने के चौथे दिन समाधिमरण हो
मुक्ति
इस काल में तो मुक्ति नहीं, तो धर्म क्यों करें ? लाइन में तो लग लें ! पर लाइन में लग कर क्या करोगे, जब
संसारी/मुक्त जीव
“संसारिण: मुक्ता: च” – तत्त्वार्थ-सूत्र – 2/10 इस सूत्र में “संसारी” पहले लिया, हालाँकि “मुक्त” ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, कारण – 1. मुक्त संसार से ही
संगति
लुहार सुबह अग्नि को पूजता है । बाद में उसी अग्नि को घन से पीटता है । कारण ? सुबह अग्नि एकाकी रहती है, बाद
वेदक सम्यक्त्व
सम्यक् प्रकृति के उदय को अनुभवन* करने वाले जीव का तत्वार्थ श्रद्धान, वेदक-सम्यक्त्व होता है। इसी का नाम क्षयोपशम-सम्यग्दर्शन भी है। श्री धवला जी –
समय
हमारा अच्छा समय दुनियाँ को बताता है कि हम क्या हैं, और बुरा समय हमें बताता है कि दुनियाँ क्या है। (डॉ.एस.एम.जैन)
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