Month: March 2022

शरीरों की वर्गणाऐं

यद्यपि सामान्य रूप से औदारिक, वैक्रियक व आहारक शरीरों का आहार वर्गणाओं से ही निर्माण कहा गया है। पर वास्तव में तीनों की वर्गणायें अलग-अलग

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धर्म / अधर्म

अधर्म = बदला लेना, धर्म = अपने आपको बदल लेना। आर्यिका श्री पूर्णमती माताजी

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कर्म

कर्म अपना फल द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव के अनुसार तो देते ही हैं पर अनुकूल/प्रतिकूल द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव भी देते हैं। सुख-दु:ख

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दृष्टि

दृष्टि पलटा दो, तामस समता हो और कुछ ना (तामस और समता, एक दूसरे को पलटाने से, यानि अंधकार में समता रखूं) आचार्य श्री विद्यासागर

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उपादान / निमित्त

उपादान से सम्यग्दर्शन नहीं, निमित्त से प्रथमोपशम सम्यग्दर्शन होता है। आत्मा की शक्तियां बैंक लॉकर में रखी सी होती हैं, उन तक पहुँचने के लिये

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भय

भय से आयु कम होती है, 1घंटा भय की अवस्था में रहने से कहते हैं 2½घंटा उम्र कम हो जाती है। अपराधियों की तथा चिड़ियों

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लक्ष्य

गोमटेश स्तुति के आखिर में लिखा – “विद्यासागर कब बनूँ…” ये नाम तो गुरु ने दिया था पर विद्या का सागर/ अथाह-ज्ञानी बनने का लक्ष्य

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संयम या संगति

या तो ख़ुद संयम/नियम ले लो, नहीं ले सकते तो संयमी की संगति कर लो। लक्ष्मण को क्रोध बहुत आता था, शांत राम की संगति

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धर्म का फल

धर्म के फल रूप कमल, तीन को मिले…. 1. तीर्थंकर को मुख्य रूप से पूर्व भवों के धर्म का फल, उत्कृष्ट शुभ कर्मों से। 2.

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पास / फेल

33नं. वाला पास, पर 32नं. वाला फेल; या कहें 33नं. वाला 67नं. से तथा 32नं. वाला 68नं. से फेल है। पर 32नं. लाने का साहस

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मंगल आशीष

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March 21, 2022