Month: March 2022

भावना

बारह-भावना भाने के लिये तीन भावना भायें – 1. सम…षटकाय जीवों के प्रति 2. निर्मम…मम भाव हटाना 3. निशल्य इनको भाने से – 1.संवेग 2.वैराग्य

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सरलता

कुछ सुनने पर बुरा ना लगना, ना ही किसी को बुरा कहना। 1. साधु के लिये – मन में होय सो वचन उचरिए, वचन होए

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निश्चय नय

वस्तु के प्रति पवित्रता का भाव निश्चय-नय से आता है। आज जो चींटी है कल को भगवान बनने की क्षमता रखती है, आज में कल

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प्रश्न

जब तक प्रश्न, तब तक उत्तर की भूख बनी रहती है । भगवान प्रश्नों से परे होते हैं । कुछ लोगों के मन में प्रश्नों

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मिथ्यात्व

व्रती A.C.आदि का प्रयोग करें तो गुणस्थान गिरेगा ? क्या व्रती मिथ्यात्व में चला जायेगा ? शारीरिक अस्वस्थता के कारण, यदाकदा, व्रतों में दोष मानकर

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आधार / आधेय

आधार – घड़ा/सृष्टि/चैत्यालय आधेय – घी/ दृष्टि/ चैत्य आधार से ज्यादा आधेय महत्त्वपूर्ण होता है, उसे सम्भालना/सुधारना ज्यादा ज़रूरी। घर से एक साधु बना हो,

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मिथ्यात्व / मोह

भगवान की माँ भी भगवान को दीक्षा लेने से रोकती है, पर यह मिथ्यात्व नहीं ? क्योंकि वे इस मार्ग को गलत नहीं कह रहीं,

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मोह

अमियाँ तोड़ने के लिये बच्चे पत्थर मारते हैं, अमियाँओं के टुकड़े गिरते हैं पर अमियाँ डाल को छोड़तीं नहीं। पकने पर हवा के झौंके से

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जन्म की पीड़ा

नियति ने मनुष्य/तिर्यंच को गर्भ/जन्म में बहुत पीड़ा क्यों दी ? देवों और भोगभूमिज को तो नहीं होती ? क्योंकि उनको तो जीवन भर दु:ख

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पुण्यात्मा

पुण्यात्मा की पूजादि इसलिये क्योंकि साधारणजन ऐसे गुणों को पा नहीं पाते । उनके पुण्य साधारणजन की रक्षा करते हैं जैसे राजा करते थे ।

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मंगल आशीष

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March 11, 2022