Day: April 20, 2022

पात्र/क्षेत्र/काल की शुद्धता

पात्र/क्षेत्र/काल की शुद्धता से मन/भावों में शुद्धि आती है जिससे आहारादि में विशेषता आ जाती है। आचार्य कुंदकुंद स्वामी ने अकाल में स्वाध्याय किया, उनकी

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दान

ख़ाली (ग़रीब) को भरोगे तो दिखेगा (फल); संतोष होगा; पुण्य बंध होगा। उसका तो पापोदय है; तभी तो ख़ाली है। तीव्र पापोदय में उसका भला

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मंगल आशीष

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