Month: April 2022
प्रमाद में हिंसा
प्रमाद में यदि कोई लेटा है तो हिंसा कैसे ? क्योंकि वह अपने चैतन्य प्राण का घात कर रहा है/ अपने स्वभाव में नहीं रह
इच्छा
शिष्य – इच्छा क्या है ? गुरु – जो कभी न पूरी हो, और एक-आध पूरी हो भी जाए, तो दूसरी पैदा हो जाए; प्राय:
बंध / निर्जरा
पाप की निर्जरा में पुण्यबंध भी होगा। ऐसे ही पुण्यानुबंधी में पाप की निर्जरा भी होगी। आगम में दसवें गुणस्थान तक किसी भी पुण्य प्रकृति
इच्छा
रावण ने बहुरूपिणी विद्या सिद्ध कर ली थी। राम रावण के एक रूप को मारते थे, तभी उसके अनेक रूप पैदा हो जाते थे। इच्छा
पुदगल-परावर्तन
नोकर्म-बंध के हेतु – शरीर/प्रियजन। कर्म-बंध तो भीतर चल रहा है। नोकर्म-बंध टूटे तो कर्म-बंध टूटे, कर्म-बंध टूटे तो नोकर्म-बंध छूटे। इस तरह पुदगल-परावर्तन दो
तुलना
तुल्य: जो तौला जा सके। किस अपेक्षा से? दूसरे के पद/धन/रूप आदि की अपेक्षा। अपने अतुल्य को पहचानो! दो अतुल्यों को कैसे तौल पाओगे?
शास्त्रों में सौन्दर्य वर्णन
प्रथमानुयोग में संसारियों तथा ठाठ-बाट का वर्णन क्यों ? ताकि पहले जान लें कि… त्याग ज्ञानपूर्वक ही होता है। जिनको प्राप्य था, उन्होंने त्यागा क्यों
कटुता
कड़वी गोली चबायी/मुंह में ज्यादा देर रखी नहीं जाती है, निगल ली जाती है । तब वह मुंह का रस खराब करने की बजाय फायदा
मोक्ष-तत्व
भगवान ने मोक्ष को तत्व कहा है, द्रव्य नहीं, निकला द्रव्य से ही है जैसे रोटी गेंहू से। फल द्रव्य है, सुगंधित रस तत्व। हम
संघर्षण / मंथन
एक जंगल में बांसों के संघर्षण की आवाज़ अग्नि में बदल गई। गाँव से भी वैसी ही आवाज आ रही थी। यह मथनी की आवाज़
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